फ्लाइंग सिख का सफर - Milkha Singh, The Flying Sikh of India

फ्लाइंग सिख का सफर - Milkha Singh, The Flying Sikh of India

मिल्खा सिंह, जिन्हें "फ्लाइंग सिख" के नाम से जाना जाता है, भारत के महानतम धावकों में से एक थे। उनका जीवन संघर्ष, दृढ़ता, और देश के प्रति समर्पण की अद्भुत कहानी है। उनका जन्म 20 नवंबर 1929 को एक साधारण परिवार में, पाकिस्तान के गोविंदपुरा गांव में हुआ था। विभाजन के दौरान अपने परिवार को खोने के बाद, उन्होंने न केवल खुद को संभाला, बल्कि देश को गर्व महसूस कराया।


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प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

मिल्खा सिंह का बचपन बहुत कठिनाइयों में बीता। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान, उन्होंने दंगों में अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को खो दिया। वे किसी तरह भारत आए और शरणार्थी शिविरों में रहे।

जीवन के इस कठिन दौर में भी उन्होंने हार नहीं मानी। सेना में भर्ती होने के बाद, उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। यहीं से उनका एथलेटिक्स का सफर शुरू हुआ।


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एथलेटिक्स में सफलता

मिल्खा सिंह ने कठिन परिश्रम और अनुशासन से खुद को एक महान एथलीट के रूप में स्थापित किया। वे 400 मीटर दौड़ में विशेष रूप से माहिर थे। उन्होंने 1958 के एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।

1960 के रोम ओलंपिक में, 400 मीटर दौड़ में उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया। यह दौड़ उनकी जिंदगी की सबसे यादगार दौड़ बनी, जिसमें वे कुछ ही सेकंड के अंतर से कांस्य पदक से चूक गए। लेकिन उनकी इस उपलब्धि ने भारत में एथलेटिक्स को नई पहचान दी।


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"फ्लाइंग सिख" की उपाधि

1960 में पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ में, उन्होंने पाकिस्तान के धावक अब्दुल खालिक को हराया। इस जीत के बाद, पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने उन्हें "फ्लाइंग सिख" की उपाधि दी। यह नाम उनकी तेज़ी और साहस का प्रतीक बन गया।


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जीवन के सबक और प्रेरणा

मिल्खा सिंह का मानना था कि संघर्ष और मेहनत से कुछ भी संभव है। उन्होंने कहा था, "भागो, क्योंकि दौड़ने से ही जीवन बदलता है।" उनकी कहानी ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया।

उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करने के लिए अपनी आत्मकथा "द रेस ऑफ माय लाइफ" लिखी, जिस पर फिल्म "भाग मिल्खा भाग" भी बनी।


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निधन और विरासत

मिल्खा सिंह का निधन 18 जून 2021 को हुआ। लेकिन उनका जीवन और उपलब्धियां भारतीय खेल जगत में हमेशा चमकती रहेंगी। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में बाधाओं का सामना कर रहा है।


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सीख:

मिल्खा सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, मेहनत, धैर्य और समर्पण से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। उनका संघर्ष और सफलता का सफर हर भारतीय के लिए प्रेरणादायक है।
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